Gandhi-Ambedkar: Kitne Dur Kitne Paas (गाँधी-आंबेडकर: कितने दूर कितने पास)
Raghu Thakur
Region : World | Language : Hindi | Product Binding : Paper Back | Page No. : 150 | Year : 2021
ISBN : 9789350027042
INR : 195.00
Overview
अभिमन्यु चक्रव्यूह में घेर कर मार दिया गया था और उसकी मौत के बाद चक्रव्यूह समाप्त हो गया था! परन्तु गाँधी एक ऐसे अभिमन्यु हैं जिन्हे चक्रव्यूह में घेर कर मारा गया और शारीरिक हत्या के आज 70-72 वर्षों बाद भी गाँधी की छवि व् व्यक्तित्व की हत्या करने के योजनाबद्ध प्रयास चल रहे हैं! ये प्रयास कौन कर रहा है? क्यों कर रहे है? इन हमलों में कितनी सच्चाई है, इन सबक बेबाक खुलासा इस पुस्त्क में है!
गाँधी पर हमले के लिए आंबेडकर को हथियार के रूप में उनके कटु शाब्दिक कथनों के आधार पर प्रयोग किया जाता रहा है! यह पढ़े-लिखे अम्बेडकरवादी जो केवल शाब्दिक अम्बेडकरवादी हैं, भी करते रहे हैं और अब आंबेडकर का इस्तेमाल हिंसा समर्थक शक्तियां भारत व् भारत के बहार करना चाहती हैं! सुश्री अरुंधति राय की पुस्तक एक था डॉक्टर-एक था संत इसी उद्देश्ये से लिखी पुस्तक है! परन्तु इस पुस्तक में लेखक श्री रघु ठाकुर ने अपने तर्कों द्वारा यह सिद्ध किया है की गाँधी व् आंबेडकर में कोई मुलभूत मतभेद नहीं था और उन्होंने उन एकता के सूत्रों को इतिहास के तथ्यों सहित इस पुस्तक में दर्ज किया है जो उनके निष्कर्षो को प्रमाणित करता है! साथ ही इस पुस्तक में यह भी बताया गया है की जो लोग आज आंबेडकर नाम से गाँधी पर हुम्ला कर सकते हैं वे वस्तुतः गाँधी के साथ-साथ आंबेडकर की प्रतिमा को गिराने का भी षड्यंत्रपूर्ण रणनीति पर काम कर रहे हैं! इस पुस्तक में एक वैश्विक-षड्यंत्रपूर्ण रणनीति का गहन अध्यन व् प्रमाणों के साथ खुलासा किया गया है! लेखक ने पुस्तक के शीर्षक 'गाँधी-आंबेडकर: कितने दूर कितने पास' में जो इंगित किया है वे इस पुस्तक को पढ़ने से सिद्ध हो जाता है!
डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात किये हुए, प्रख्यात गाँधीवादी समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर देश में समतामूलक समाज की संरचना हेतु समर्पित हैं! जीवन के आरम्भिक दिनों से लेकर अब तक के सफर में विभिन्न मोर्चों पर निरंतर संघर्षों में अपना जीवन समर्पित किये, अपनी यात्रा जारी रखे हुए हैं! आज देश में विचारों की क्रांति मशाल को लेकर बिना थके, समर्पण भाव से पुरे देश में अखल जगाने का कार्य कर रहे हैं! डॉ लोहिया द्वारा प्रकाशित जन एवं मन काइंड में लेखन कार्य तथा श्री जॉर्ज फर्नांडेस के द्वारा प्रकाशित प्रतिपक्ष एवं द अदर साइड के संपादन से भी जुड़े रहे! वर्तमान में दक्षेस महासंघ के अध्यक्ष तथा लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी की राष्ट्रिय संरक्षक हैं! अनेक राष्ट्रीय समाचार पात्र पत्रिकाओं में नियमित स्वतंत्र लेखन कार्य के साथ-साथ दुखियावानी (मासिक) भोपाल के संपादक भी हैं!

HOW REVOLUTIONARY WERE THE BOURGEOIS REVOLUTIONS?
Neil Davidson ,

Customs in Common
E P Thompson ,

Howard Zinn Speaks: Collected Speeches 1963-2009
Anthony Arnove ,

Lineages of Revolt: Issues of Contemporary Capitalism in the Middle East
Adam Hanieh ,

Alexandra Kollontai: A Biography
Cathy Porter ,