BISWI SADI MEI VISHV ITIHAS KE PRAMUKH MUDDE: Badalte Aayam Evam Dishayen (बीसवीं सदी में विश्व इतिहास के प्रमुख मुद्दे:
Anirudh Deshpande Mridula Jha Pratibha Chawla
Region : World | Language : Hindi | Product Binding : Paper Back | Page No. : 567 | Year : 2021
ISBN : 9789350027103
INR : 395.00
Overview
यूँ तो इतिहास बीते समय का विश्लेषण होता है लेकिन इतिहास का एक मक़सद समकालीन वक़्त को सही रौशनी में पेश करना है। आज हम जिस दुनिया में रहते हैं उसे बेहतर कल में बदलने के लिए समकालीन और आधुनिक इतिहास की आलोचनात्मक विवेचना ज़रूरी है। शायद इसी मक़सद से दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में बीसवीं सदी के इतिहास के विश्लेषण को शामिल किया गया है। बीसवीं सदी के इतिहास के प्रमुख मुद्दों की जानकारी के बिना कोई भी छात्र समकालीन समाज के बुनियादी सवालों का विश्वसनीय जवाब नहीं दे सकता। १८वीं और १९वीं सदी में हुई फ़्रांसीसी और औद्योगिक क्रांतियों ने आधुनिक दुनिया और आधुनिकता की नीव रखी और बीसवीं सदी के इतिहास और मुद्दों को जन्म दिया। देखा जाए तो २१वीं शताब्दी कई मायने में १९वीं और २०वीं शताब्दी के मानव इतिहास में जन्मे प्रमुख मुद्दों की विस्तृत कहानी है। पूँजीवाद, साम्राज्यवाद, आधुनिक उपनिवेशवाद, राष्ट्रवाद, फसीवाद, नाज़ीवाद, आधुनिक युद्ध, मीडिया और पूँजीवादी वैश्वीकरण इस कहानी के मुख्य पत्र हैं। इस कहानी क्या अध्याय हो सकते हैं? सर्वहारा वर्ग के संघर्ष, साम्राज्यवाद और उपनिवेश्वाद का ना रुकने वाला इतिहास, फसीवाद और नाज़ीवाद के दौर, पूँजीवाद का गहरा संकट, पर्यावरण और मानव अधिकार के पेचीदा मामले, दो विश्व युद्धों की दुखद दास्ताँ, १९४५ के बाद की दुनिया और उसमें फैला मीडिया व वैश्विकरण का व्यापक प्रभाव जिस से हम बच नहीं सकते। इसके अलावा और बहुत से प्रश्न और उनके उत्तर पाठकों को इस किताब में मिलेंगे। इस पुस्तक का हर अध्याय ठोस शोध पर आधारित है। इनके कुछ लेखकों ने कई वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय की अनेक शैक्षणिक संस्थाओं में स्नातक स्तर के छात्रों को समाज शास्त्र और इतिहास पढ़ाया है और ये अनुभव उनके लेखों में झलकता है। बी ए और एम ए के छात्रों के अलावा इतिहास में रुचि रखने वाले साधारण पाठक को भी इस पुस्तक में दिलचस्प जानकारी और विश्लेषण प्राप्त होगा। यू पी एस सी और अन्य परीक्षाओं के लिए मशक़्क़त करने वाले नौजवानों के लिए भी ये किताब अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। भारत के कई विश्वविद्यालयों और विद्यालयों में जो छात्र हिंदी पढ़ सकते हैं उनके लिए तो ये किताब ख़ास काम की है।
संपादक तथा लेखकों का परिचय
अनिरुद्ध देशपांडे, एसोसिएट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय
आशा गुप्ता, पूर्व निदेशक, हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रतिभा चावला, एसोसिएट प्रोफेसर, श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
मनोज शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, किरोड़ी मल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
मृदुला झा, एसोसिएट प्रोफेसर, पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय
मुफीद म. इक़बाल मुजावर, असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास), सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन, शिवजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर
मो. मोतीउर रेहमान खान, असिस्टेंट प्रोफेसर, पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय
श्रुति विप, अस्सिटेंट प्रोफेसर, पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय

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