HINDI VAKYA SANRACHNA MAI NAKARATMAK SHABD (हिंदी वाक्य संरचना में नकारात्मक शब्द)
Rajesh Kumar
Region : World | Language : Hindi | Product Binding : Hardbound | Page No. : 194 | Year : 2022
ISBN : 9779391982003
INR : 595.00
Overview
यह किताब हिंदी वाक्यखंड (clause structure) की संरचना को दर्शाती है और हिन्द वाक्य की संरचना में वाक्यगत निषेध (sentential negation) और घटकीय निषेध (constituent negation) की स्तिथि को बताती है! किताब में यह दावा किया गया है कि हिंदी में, वाक्यगत निषेध में निषेध सूचक (negative marker), अपने स्वयं कि अधिकतम प्रक्षेप (manimal projection) नेग-पी (NegP) के शीर्घ पर होता है, जो कि टीपी (TP) के अधीनस्थ होता है! वाक्यखंड में निषेध सूचकों की स्तिथि बताने के साथ साथ, यह किताब हिंदी में निषेध ध्रुवीय पदों (negative polarity markers) के वितरण को और उनके वाक्य में आने पर क्या प्रतिबन्ध है यह भी दर्शाती है!
किताब में यह तर्क दिया गया है कि हिंदी में निषेध ध्रुवीय पद (negative polarity markers) का आना काफी जाहिर सा होता है, खासकर के तब जब वह एक सी-कमडिंग निषेध सूचक के तहत होता है! पहले से उपलब्ध सैद्धांतिक प्रमाणों जो यह दावा करते हैं कि निषेध ध्रुवीय पदों के आने के लिए ऐसे वाक्यविन्यासत्मक प्रक्रियाएं होती है जो कि अप्रकट होती है जैसे कि LF का चलन/ हरकत या उसका पुनः निर्माण के विपरीत यह किताब कुछ आय प्रमाण उपलब्ध कराती है! एपीआई के वर्गीकरण के सम्बन्ध में, यह पुस्तक हिंदी में दो अलग-अलग प्रकार के एपीआई के अस्तित्व को भी दर्शाती है; अर्थार्थ, मजबूत एपीआई और कमज़ोर एपीआई! मजबूत एपीआई के लिए क्लॉज मेज सी-कमांडिंग नेगेटिव लिसेंसेर कि जरुरत होती है, जबकि कमजोर एपीआई क्वांटिफायर होते हैं और अंग्रेजी में फ्री चॉइस "ऐनी" के सामान होते हैं, जिन्हें सी-कमांडिंग नेगेटिव सेंसर कि उपस्थिति में एपीआई के रूप में समझा जाता है!
राजेश कुमार, भारतीय प्रोधोगिकी संसथान मद्रास, चेन्नई के मानविकी और सामाजिक विज्ञानं विभाग में भाषा विज्ञानं के प्रोफेसर हैं! उन्होंने अपनी पीएच डी अरबाना-शोंपेन के इलिनाय विश्विद्यालय से भाषा विज्ञानं में कि है! आईआईटी मद्रास से पहले, उन्होंने भारत में आईआईटी कानपूर और आईआईटी पटना में और अमेरिका में ऑस्टिन में टेक्सास विश्विद्यालय में पढ़ाया! वह भारत में, मुंबई में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज में विजिटिंग फैकल्टी भी रहे हैं!

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