Astitvaad Mai Algav Ki Dharna (अस्तितवाद में अलगाव की धारणा)
Gorakh Pandey
Region : World | Language : Hindi | Product Binding : Hardbound | Page No. : 104 | Year : 2017
ISBN : 9789350024638
INR : 350.00
Overview
"मनुष्य सचेतन करता के बतौर अन्य प्राणियों से अपने आप को प्रकृति के साथ सचेतन और सौदेश्य अन्तः क्रिया के जरिये अलगाता है. वह समूची दुनिया को अपने क्रिया-कलाप का विषय बना लेता है. इस तरह वह बाहरी और भीतरी प्रकृति को रूपांतरित करता है, उस पर नियंत्रण पता है. फलस्वरूप वह अपने लिए स्वतंत्रता का क्षेत्र निर्मित करता है. मनुष्य एक वस्तुनिष्ट प्राणी है और कर्ता का वस्तुकरण दरअसल उसके अस्तित्व का आत्म-साक्षात्कार है. मार्क्स का यह भी कहना है की यदि मनुष्य प्रकृति से, समाज से और अपने आप से अलगाव में है तो उसका कारन श्रम विभाजन और वर्ग विभाजन समाज में मेहनतकशों के श्रम फल का, उन पर प्रभुत्व जमाये बैठे वर्ग द्वारा, अधिग्रहण है. मनुष्य की सृजनात्मक गतिविधि उसके सामाजिक अस्तित्व का निर्माण करती है और जब मनुष्य के सृजनात्मक उत्पाद को दूसरा कोई हड़प लेता है तो वह प्रकृति (उत्पाद) से, समाज से और अपने आप से अलग हो जाता है. मनुष्य केवल तभी अलगाव पर विजय पा सकता है, जब श्रम के अलगाव की इन सभी समाजैतिहासिक परिस्थितियों को वस्तुगत रूप से अतिक्रमण हो जाये."
-इसी किताब से
समाज-विज्ञानं और साहित्यिक कृतियों के सिद्धहस्त अनुवादक गोपाल प्रधान हिंदी के वरिष्ठ आलोचक है. छायावाद और हिंदी नवरत्न पर उनकी पुस्तकें प्रकाशित है. विभिन्न पात्र-पत्रिकाओं में साहित्य-समाज से जुड़े विषयों पर गंभीर लेखन के लिए जाने जाते है. फिलहाल दिल्ली के आंबेडकर विश्विद्यालय मई अध्यापन.
युवा आलोचक अवधेश ने आज़ादी के बाद की हिंदी कविता और गोरख पांडेय की कविताओं पर काम किया है. हाल ही में जी एन देवी की किताब आफ्टर एम्नेसिअ का अनुवाद प्रकाशित. फिलहाल दिल्ली के आंबेडकर विश्विद्यालय में अध्यापन.
अनुवादक, कवी, आलोचक मृत्युंजय का काम हिंदी आलोचना में कैनन निर्माण पर है. मल्लिकार्जुन मंसूर की आत्मकथा का अनुवाद एक कविता संग्रह स्याह हाशिये प्रकाशित. फिलहाल दिल्ली के आंबेडकर विश्विद्यालय में अध्यापन.

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