Anacharik Vikas (अनचारिक विकास: समकालीन राजनितिक आर्थिकी)
Amit Bhaduri
Region : World | Language : English | Product Binding : Paper Back | Page No. : 224 | Year : 2015
ISBN : 9788191081756
INR : 175.00
Overview
उदारीकरण के साथ अर्थतंत्र 'सुधरता' गया है और लोकतंत्र बिगड़ता गया है, अर्थतंत्र की हालत चकाचक है. लोगों की नहीं. देहाती दुनिया में व्यापक रुप से फैली बदहाली के निशान चरों ओर दिख रहे हैं. भव्यता का भ्रमजाल बनाए रखना अब मुश्किल हो रहा हैं. आर्थिक बढ़त की गति को इर्धन देने के लिए असमानता को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा हैं. यह विकास की ऐसी अवधारणा हैं जो कुदरत का भी शोषण और विनाश करती हैं और गरीबों का भी जो अपनी आजीविका का बड़ा हिस्सा कुदरती अर्थव्यवस्था से जुटाते हैं. व्यापक हताशा अब व्यापक जनाक्रोश में बदलने लगी हैं.
यह किताब बताती हैं की इस नवउदारवादी विकास प्रतिमान का अनुसरण इतिहास में कई जगह हुआ हैं! भारत में यह ज्यादा खूंखार रूप में उभर रहा हैं. यह इस मान्यता पर टिका हैं कि जब तक तेज रफ़्तार और विशाल पैमाने पर शोषण के जरिये कुदरती संसाधनों का विकास नहीं होता तब तक देश न तो दुनिया के पैमाने पर होड़ में टिक पायेगा और न ही इतनी दौलत जुटा पायेगा कि वह यहाँ कि गरीबी, अशिक्षा, भूक और फटेहाली कि समस्या से निपट सके. सवाल हैं कि यह इस शोषण का बोझ पर्यावरण और मौजूदा सामाजिक संरचना वहन कर सकेगी?
अमित बहादुरी जाने मने अर्थशास्त्री हैं, उनकी किताबें एशिया और यूरोप कि कई भाषाओँ में अनुदित हो चुकी हैं. वे दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस और इटली के पोविया विश्विद्यालय में अंतराष्ट्रीय स्टार पर चुने गए 'प्रोफेसर ऑफ क्लियर फेम' हैं.

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