Pratham International ki Kahani (प्रथम इंटरनेशनल की कहानी)
Marcello Musto (मार्चेलो मुस्तो)
Region : World | Language : English | Product Binding : Paper Back | Year : 2018
ISBN : 9789350025635
INR : 250.00
Overview
पिछले पचीस सालों में एक के बाद एक बड़े राजनीतिक-आर्थिक बदलाव तीव्र गति से हुए हैं । पारिस्थितिकी के सवाल की मुख्यता, नवउदारवादी वैश्वीकरण से उत्पन्न सामाजिक बदलाव, और हाल के दुनिया के अब तक के सबसे विनाशकारी आर्थिक संकट ने पूंजीवाद के विकल्पों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है । अपने अल्पकालीन जीवन में प्रथम इंटरनेशनल वर्ग संघर्ष का प्रतीक बन गया था और इसने समूची धरती के करोड़ो कामगारों की सोच को प्रभावित किया था । इसके जन्म की डेढ़ सौवीं जयंती ने इसके प्रस्तावों को उलटकर फिर से देखने, इसके नायकों के अनुभवों से सीखने और हमारे समकालीन सवालों के समाधान खोजने का महत्वपूर्ण मौका उपलब्ध कराया । मशहूर विद्वान मार्चेलो मुस्तो ने इसके दस्तावेजों को उनके ऐतिहासिक संदर्भ में देखा और पूंजीवाद की आलोचना तथा मजदूर आंदोलन की स्थापना में रुचि रखने वालों के लिए यह मूल्यवान रचना की है
मार्चेलो मुस्तो (1976) टोरंटो स्थित यार्क विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के एसोशिएट प्रोफ़ेसर हैं । दुनिया की बीस से अधिक भाषाओं में उनके ढेर सारे लेख और किताबें छपी हैं । उनकी संपादित किताबें हैं- ग्रुंड्रिस के 150 साल पूरा होने पर (रटलेज, 2008); मार्क्स फ़ार टुडे (रटलेज, 2012); वर्कर्स यूनाइट! इंटरनेशनल 150 ईयर्स लेटर (ब्लूम्सबरी, 2014); द मार्क्स रिवाइवल (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, प्रकाश्य 2019) । उनकी हालिया किताबें हैं- एनादर मार्क्स: अर्ली मैन्युस्क्रिप्ट्स टु द इंटरनेशनल (ब्लूम्सबरी, 2018); द लास्ट मार्क्स: ऐन इंटेलेक्चुअल बायोग्राफी (प्रकाश्य) । उनका ज्यादातर लेखन www.marcellomusto.org पर उपलब्ध है ।
गोपालजी प्रधान हिंदी के वरिष्ठ आलोचक हैं! छायावाद और नवरत्न पर उनकी पुस्तकें प्रकाशित हैं! विभिन्न पात्र पत्रिकाओं में साहित्य-समाज से जुड़े गंभीर लेखन के लिए जाने जाते हैं! फिलहाल दिल्ली के आंबेडकर विश्वविद्यालय में अध्यापन!

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