Rashtr Par Punarvichaar: Dakshin Bharat Ke Pariprekshya (राष्ट्र पर पुनर्विचार: दक्षिण भारत के दृष्टिको
Region : World | Language : Hindi | Product Binding : Hardbound | Page No. : 160 | Year : 2018
ISBN : 9789350025581
INR : 395.00
Overview
यह निबंध संग्रह भाषा और पहचान, जाती और सत्ता/शक्ति, धर्म और धर्मनिरपेक्षवाद जैसे विषयों से जूंझता है! इस संग्रह में इन विषयों की पड़ताल, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के बरक्स की गयी है! तथापि, ये निबंध तमिल छेत्रिय इतिहास से मात्र अध्याय भर नहीं है! ये लेख सत्त रूप से राष्ट्र के प्रश्न को उठाने के साथ-साथ अपने छेत्रिय आश्रय की चारदीवारी को लांघते हैं व व्यापक महत्व के विषयों को सम्बोधित करते हैं!
इन निबंधों का हिंदी अनुवाद पेश करते हुए यह संकलन- एक भाषाई छेत्र जिसका राष्ट्र से अलगाव का एक इतिहास रहा है और एक भाषाई छेत्र जो कि राष्ट्र की प्रभुकल्पना में राष्ट्र का घोतक है - भाषाई छेत्र और राष्ट्र के बिच एक सार्थक बहस की कोशिश करता है!
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एम्.एस.एस. पांडियन: जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय (नई दिल्ली) के ऐतिहासिक अध्यन केंद्र में प्रोफेसर थे! वे सारे प्रोग्राम के विजिटिंग फेलो थे! उन्होंने सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ सोशल साइंस (कोलकाता) और मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (चेन्नई) में अध्यापन किया था! वे सबाल्टर्न स्टडीज परियोजना से सम्भदित थे!
जगदीश चंद्र उपाध्याय (संपादन व अनुवाद): महाराजा सयाजीराव विश्विद्यालय (बड़ोदरा) से कला इतिहास में एम.ए.! कुछ समय के लिए राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय की थिएटर इन एजुकेशनल विंग से जुड़े, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स (चंडीगढ़) में अध्यापन किया! बड़ोदा पैम्फलेट, मुक्ति संघर्ष, नई आगे व अन्य पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित! फिलहाल सेंटर फॉर एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन (नई दिल्ली) में कार्यरत हैं!

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