Shiksha aur Naitik Moolyon Ki Khoj (Hindi)

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ISBN 9789350023808
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ISBN 9789350023808

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ऐसे समय में जब शिक्षा का व्यापक बाज़ारीकरण हो रहा है, यह पुस्तक एक नयी उम्मीदजगाती है |इस सम्बन्ध में यह कई अहम सवाल उठाती है, चिन्तनमूलक शिक्षा पद्धति की वकालत करती है और शिक्षा की संस्कृति के साथ गहरे नैतिक/दार्शनिक मुद्दों को जोड़ती है | स्कूली शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा तक यह ज्ञान, पाठ्यपुस्तकों और पद्धतियों, शैक्षणिक हस्तक्षेपों और सृजनात्मक संभावनाओं के वर्गीकरण और प्रसार पर रौशनी डालती है | दार्शनिक चिंतन, संवाद और समाजशास्त्रीय मीमांसा के साथ इसमें शिक्षा की ऐसी संस्कृति की कल्पना की गयी है जो आध्यात्मिक रूप से उदात्त/परिस्तिथितकिये रूप से संवेदनशील/समतामूलक समाज का निर्माण करने में सक्षम हो | यह पुस्तक समाजशास्त्रियों, शिक्षाविदों, पाठकों और अध्यापन कार्य से जुड़े तमाम लोगों के लिए अत्यधिक उपयोगी है |

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