Jodhpur Durg Mehrangarh (जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़)
₹1,250.00
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ISBN | 9789350028711 |
Description
मेहरानगढ़! मारवाड़ का मुकुटमणि! राजस्थान का गौरव! गढ़ की प्राण-प्रतिष्ठा 1459 ई. में राठौड़ों के दुर्धर्ष योद्धा राव जोधा ने की! नाथ योगी की चिड़िया टूंक पहाड़ी पर; चिड़ियानाथ जी की नाराज़गी हुई, फिर आशीर्वाद भी मिला! 565 साल बीत गए! यह पुस्तक इस किले के विकास का, बनाने-सुधारने का, इसकी रक्षा के लिए बलिदान देने वाले स्वमीभक्तों का, नींव से कंगूरों तक इसे बनाने वालों का इतिहास ही नहीं, उनकी स्मृतियों को ताजा करने के प्रयत्न है! मारवाड़ के राठौड़ शासकों की 1459 ई. से वर्तमान समय तक मेहरानगढ़ के निर्माण-नवनिर्माण में रही अहम भूमिका के साथ प्रारम्भ कर लेखक ने महलों, मंदिरों, पोलो, बुर्ज, चहारदीवारी और झुंझारों की छतरियों और देवलियाँ-पूजा स्थानों की चर्चा की है! इनमें से हरेक को बनाने वाले गजधरों उनके सहायक, काम की निगरानी रखने वाले कामदारों का मेहनताना, समयवधि, पत्थर और लड़की कहाँ से आयी, प्लास्टर करने वाले, रंग देने वाले, चित्रांकन व कांच का काम करने वाले, इनका काफी रोचक विवरण क्षण-क्षण आपकी रूचि बढ़ाता रहेगा! कुल मिलकर मूल अभिलेखों पर आधारित किसी किले की नित्य-विकास प्रक्रिया, उससे जुड़े लोगों और उसमें जूंझार हुए वीरों पर इस तरह की कोई पुस्तक देखने में नहीं आयी! इसे पढ़कर कोई शोधार्थी ऐसे अध्ययन में प्रवृत्त होगा तो वह लेखक की इस पुस्तक को-जिसे ढाई लाख अभिलेखों के अध्ययन के बाद तैयार किया-सार्थक करेगा!
“भारतीय इतिहास में तोमरों की भूमिका” विषय पर डॉ. महेंद्र सिंह तंवर ने तीन दशक पूर्व जय नारायण व्यास विश्विद्यालय जोधपुर के इतिहास विभाग से पिएच.डी. हेतु अपना शोध कार्य प्रारम्भ किया था! डॉ. तंवर पिछले बीस वर्षों से अधिक समय से मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं! डॉ. तंवर ने स्थानीय इतिहास और तोमर वंश पर बहुत ही महत्वपूर्ण करए किया है और अब तक उनकी हिंदी और अंग्रेजी में 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है! उनके विभिन्न शोध पात्र कई राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय पात्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं और इस माध्यम से वे दुनिया भर में मारवाड़ के इतिहास और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण व सरहानीय योगदान दे रहे हैं! डॉ. तंवर, पिछले बारह वर्षों से संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने के लिए गहन शोध करए कर रहे हैं! डॉ. तंवर ने मारवाड़ की और ओरण, गोचर भूमि और पर्यावरण पर गहन अनुसन्धान कर इनके दस्तावेजीकरण का महत्वपूर्ण कार्य किया है! वर्तमान में आप महाराजा मानसिंघ पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र में सहायक निदेशक पद पर कार्यरत है! शोध केंद्र में अभिलेखीय दस्तावेज़ों का विशाल संग्रह उपलब्ध है और डॉ. तंवर को इस उपलब्ध सामग्री का महत्वपूर्ण ज्ञान है अर्थात उन्हें इस पर विशेषज्ञता प्राप्त है! डॉ. तंवर पश्चिमी राजस्थान व मारवाड़ से सम्बंधित महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दस्तावेजों को प्रकाश में लाने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित होकर कार्य कर उपयोगी भूमिका निभा रहे हैं! वर्तमान में डॉ. तंवर राव चन्द्रसेनजी के इतिहास और मारवाड़ की प्रारंपिक विरासत पर शोध कार्य क्र रहे हैं! उन्हें जय नारायण व्यास विश्विद्यालय जोधपुर के इतिहास विभाग की ओर से शोध पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया गया है!
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