Raahon Ki Dhul
₹150.00
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ISBN | 9789350023471 |
Description
राहों की धूल मई मारà¥à¤š 1947 से दिसंबर, 1949 तक लिखी कवितायेठहै. यही तीन साल इन कविताओं के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ थे, जिसमे शामिल थी हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ की फसादों à¤à¤°à¥€, पंजाब और देश की बांटती, देशी बà¥à¤°à¥à¤œà¥à¤†-सामंती राज सà¥à¤¤à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करती, आज़ादी, और हर जगह संघरà¥à¤·à¤¶à¥€à¤² लोगो का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बà¥à¤¾à¤¤à¤¾, अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ इंक़लाब की दिशा दिखलाता माओ का चीनी इंक़लाब. पर जो बात उà¤à¤° कर सामने आयी, वह देश के नठहकीमों का जनविरोधी वरà¥à¤—-चरित था, जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आज़ादी के वक़à¥à¤¤ के जान-उà¤à¤° को सखà¥à¤¤à¥€ से दबा दिया और जनता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आज़ादी को अपने हक़ों के लिठढालने की हर कोशिश को, तेलंगाना समेत हर संघरà¥à¤· को, अपने क़ानूनी और शासà¥à¤¤à¥à¤° ताकत के बल पर कà¥à¤šà¤² डाला. बाद के सालों में सà¤à¥€ पातà¥à¤° बदल गà¤, और हालात à¤à¥€ वही नहीं रहे, पर यह कहानी अà¤à¥€ ख़तà¥à¤® नहीं हà¥à¤ˆ है, वैसी ही चल रही है. इसीलिठराहों की धूल आज के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गगिकता बनाये हà¥à¤ है.
रनधी सिंह (9 जनà¥à¤…री 1922 – 31 जनà¥à¤…री 16) दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ मई पोलिटिकल थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° थे. उनकी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ है मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤¿à¤¸à¥à¤®, सोशलिजà¥à¤®, इंडियन पॉलिटिकà¥à¤¸: आ वà¥à¤¯à¥‚ फà¥à¤°à¥‰à¤® थे लेफà¥à¤Ÿ; सरिसी ऑफ़ सोशलिजà¥à¤®: नोटà¥à¤¸ इन डिफेंस ऑफ आ कमिटमेंट; रीज़न, रेवोलà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤‚ड पोलिटिकल थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€; फाइव लेकà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¸ इन मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ मोड और ऑफ़ मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤¿à¤¸à¥à¤® à¤à¤‚ड पोलटिकà¥à¤¸. वह 1939 से कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ आंदोलन से जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ थे.
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