ATIHASIK NAUSAINIK VIDROH AUR BHARTIYE JAN ANDOLAN 1946
₹395.00
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ISBN | 9789350027844 |
Description
1946 का विशाल नौसैनिक विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में विशेष सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखता है। नौजवान नाविकों के इस विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ से हम हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ सीख सकते हैं? ये सवाल इस किताब का मà¥à¤–à¥à¤¯ बिंदॠहै। आज़ादी के 75 साल बाद आज़ादी के संगà¥à¤°à¤¾à¤® की ये à¤à¥‚ली हà¥à¤ˆ सतà¥à¤¯ कथा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को याद करनी चाहिà¤à¥¤ हाल में हà¥à¤ अगà¥à¤¨à¤¿à¤µà¥€à¤°-अगà¥à¤¨à¤¿à¤ªà¤¥ आंदोलन हमे à¤à¤• सबक सिखाता है। à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• सबक नाविकों के इस वोदà¥à¤°à¥‹à¤¹ ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ को 1946 में सिखाया था। नौजवानों को सपने दिखाना आसान है लेकिन उन सपनों को अगर साकार न किया जाà¤, तो परिणाम संजीदा होते हैं। रॉयल इंडियन नेवी (RIN) के नाविक रेटिंगà¥à¤¸ (Naval Ratings) को दूसरे विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ में शरीक होने से कई उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡à¤‚ थीं। जब 1945-46 में इन उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ पर पानी पड़ा तो नाविक बाघी बन गà¤à¥¤ दूसरी तरफ, शहरों की जनता महंगाई और कालाबाज़ारी से परेशान थी। बग़ावत को उसने पà¥à¤°à¥›à¥‹à¤° समरà¥à¤¥à¤¨ दिया और बमà¥à¤¬à¤ˆ और कराची जैसे शहरों में खून की नदियाठबहने लगीं। कोमà¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ पारà¥à¤Ÿà¥€ को छोड़, किसी रेजनैतिक दल ने नाविकों को समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं दिया और शहरी à¤à¥€à¥œ और रेटिंगà¥à¤¸ को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ फौज के हवाले कर दिया। विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ को बेरहमी से कà¥à¤šà¤²à¤¾ गया और 400 से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मौत के घाट उतार दिठगà¤à¥¤ जखà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ मालूम नहीं। लिहाज़ा फरवरी 1946 देश और बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के लिठà¤à¤• गंà¤à¥€à¤° संकट की तरह उà¤à¤°à¤¾à¥¤ ये किताब हिंदी पाठकों और हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ इतिहास-छतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के लिठख़ास तौर पर तैयार की गई है और इस बग़ावत के पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित है। इसे आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सामाजिक, रेजनैतिक और सामरिक इतिहास के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से पà¥à¤¾ जाना चाहिà¤à¥¤
अनिरà¥à¤¦à¥à¤§ देशपांडे दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के इतिहास विà¤à¤¾à¤— में आधà¥à¤¨à¤¿à¤• इतिहास के अतà¥à¤¯à¤‚त लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° हैं। देश विदेश में इनका काम मशहूर है और इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ इतिहास के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विषयों पर कई किताबें और दरà¥à¥›à¤¨à¥‹à¤‚ शोध पतà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किये हैं।इनके बारे में तफ़सील से जानने के लिठआप दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के इतिहास विà¤à¤¾à¤— का वेबसाइट देख सकते हैं। ये हिंदी व इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ लघॠकथाà¤à¤ à¤à¥€ लिखते हैं और कà¥à¤› वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ इनका à¤à¤• नॉवेल à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¤¾ है। अमेज़न और आकार पर इनकी कई किताबें मौजूद हैं। ये सेंट सà¥à¤Ÿà¥€à¤«à¥‡à¤‚स कॉलेज और जे à¤à¤¨ यू के इतिहास विà¤à¤¾à¤— के छातà¥à¤° रह चà¥à¤•à¥‡ हैं।
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