JAATI PRATHA (जाती प्रथा)
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ISBN | 9789350028193 |
Description
इस पुस्तक में डॉ राम मनोहर लोहिया के जाती प्रथा पर विचारों तथा इसके उन्मूल के कार्यक्रमों की एक झलक मिलती है! लोहिया के चुनिंदा लेखों को शामिल कर, जाती प्रथा सम्बन्धी उनके विचारों एवं कार्यक्रमों को उन्ही के ओजस्वी शब्दों में रखा गया है! लोहिया ने जाती प्रथा को न केवल भारत पर विदेशी आक्रमणों में बार-बार पराजित होने को प्रमुख कारन बताया है बाल्की इसके उन्मूलन से ही स्वतंत्र भारत में एक शक्तिशाली एवं समृद्ध राष्ट्र की परिकल्पना की है! लोहिया के शब्दों में, जाती प्रथा ने भारत में ऐसी व्यवस्था बना दी है की “जनता बेजान है, वशिष्ट वर्ग कपटी है”
राम मनोहर लोहिया भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक कार्यकर्ता और समाजवादी राजनीतिक नेता थे। लोहिया कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे और इसके मुखपत्र कांग्रेस सोशलिस्ट के संपादक थे। राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं जो अपनी वैचारिक उद्यमिता में विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता रखते थे। अपने तकरीबन चार दशकों के राजनीतिक जीवन में वे ज़मीनी हक़ीक़तों के अध्ययन और चिन्तन-मनन में इस तरह व्यस्त रहे कि सत्ता-केन्द्रित राजनीति ने उन्हें बहुत अहमियत नहीं दी।
सम्पदाक – डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात किये हुए, प्रख्यात गाँधीवादी, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर देश में समतामूलक समाज की संरचना हेतु समर्पित हैं। जीवन के आरंभिक दिनों से लेकर अब तक के सफर में विभिन्न मोर्चों पर निरन्तर संघर्षों में अपना जीवन समर्पित किये, अपनी यात्रा जारी रखे हुये हैं। आज देश में विचारों की क्रान्ति मशाल को लेकर बिना थके, समर्पण भाव से पूरे देश में अलख जगाने का कार्य कर रहे हैं। अनेक राष्ट्रीय समाचार पत्र, पत्रिकाओं में नियमित स्वतंत्र लेखन कार्य के साथ-साथ दुखियावाणी (मासिक) भोपाल के संपादक भी हैं। छात्र जीवन से समाजवादी राजनीति में सक्रिय भूमिका, आपातकाल के विरोध में जेल यात्रा, जनता पार्टी तथा जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव एवं विपक्ष राजनीति में सक्रिय भूमिका । सम्प्रति लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक ।
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