Marx ke Aakhiri Din
₹350.00
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ISBN | 9789350027196 |
Description
अपने जीवन के आखिरी सालों में मारà¥à¤•à¥à¤¸ ने अपना शोध नये कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया- ताजातरीन मानव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ खोजों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया, पूंजीवाद से पहले के समाजों में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µ के सामà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• रूपों का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया, रूस के कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी आंदोलन का समरà¥à¤¥à¤¨ किया तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤, आयरलैंड, अलà¥à¤œà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और मिसà¥à¤° के औपनिवेशिक शोषण की आलोचना की । 1881 से 1883 के बीच वे यूरोप से बाहर पहली और आखिरी यातà¥à¤°à¤¾ पर à¤à¥€ गये । उनके जीवन के इन अंतिम दिनों पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ इस किताब में दो गलत धारणाओं का खंडन हà¥à¤† है- कि मारà¥à¤•à¥à¤¸ ने अंतिम दिनों में लिखना बंद कर दिया था और कि वे यूरोप केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¤¸à¥‡ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• चिंतक थे जो वरà¥à¤— संघरà¥à¤· के अतिरिकà¥à¤¤ किसी अनà¥à¤¯ चीज पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं देते थे ।
इस किताब के जरिठमारà¥à¤šà¥‡à¤²à¥‹ मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥‹ ने मारà¥à¤•à¥à¤¸ के इस दौर के काम की नयी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता खोजी है और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§ उनकी अपà¥à¤°à¤•ाशित या उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ रचनाओं को उजागर किया है ताकि पाठक यूरोपीय उपनिवेशवाद की मारà¥à¤•à¥à¤¸à¥€ आलोचना को, पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥‡à¤¤à¤° समाज के बारे में उनके विचारों को और गैर पूंजीवादी देशों में कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ संबंधी सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को समà¤à¥‡à¤‚ । अंतिम दिनों की उनकी पांडà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, नोटबà¥à¤•ों और पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के जरिठमारà¥à¤•à¥à¤¸ की à¤à¤¸à¥€ तसà¥à¤µà¥€à¤° उà¤à¤°à¤¤à¥€ है जो उनके समकालीन आलोचकों और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ छवि से अलग है । इस समय मारà¥à¤•à¥à¤¸ की लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ बढ़ी है इसलिठउनके जीवन और उनकी धारणाओं के मामले में कà¥à¤› नयी बातें इसमें हैं ।
मारà¥à¤šà¥‡à¤²à¥‹ मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥‹ (1976) टोरंटो सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ यारà¥à¤• विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में समाजशासà¥à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¸à¥‹à¤¶à¤¿à¤à¤Ÿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¼à¥‡à¤¸à¤° हैं । दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ कीबीस से अधिक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में उनके ढेर सारे लेख और किताबें छपी हैं । उनकी संपादित किताबें हैं- गà¥à¤°à¥à¤‚डà¥à¤°à¤¿à¤¸ के 150साल पूरा होने पर (रटलेज, 2008); मारà¥à¤•à¥à¤¸ फ़ार टà¥à¤¡à¥‡ (आकर बà¥à¤•à¥à¤¸, 2012); वरà¥à¤•रà¥à¤¸ यूनाइट! इंटरनेशनल 150 ईयरà¥à¤¸à¤²à¥‡à¤Ÿà¤° (बà¥à¤²à¥‚मà¥à¤¸à¤¬à¤°à¥€, 2014); द मारà¥à¤•à¥à¤¸ रिवाइवल (कैमà¥à¤¬à¥à¤°à¤¿à¤œ यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤¸, पà¥à¤°à¤•ाशà¥à¤¯ 2019) । उनकी हालिया किताबेंहैं- à¤à¤¨à¤¾à¤¦à¤° मारà¥à¤•à¥à¤¸: अरà¥à¤²à¥€ मैनà¥à¤¯à¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤Ÿà¥à¤¸ टॠद इंटरनेशनल (बà¥à¤²à¥‚मà¥à¤¸à¤¬à¤°à¥€, 2018); द लासà¥à¤Ÿ मारà¥à¤•à¥à¤¸: à¤à¤¨ इंटेलेकà¥à¤šà¥à¤…लबायोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ (पà¥à¤°à¤•ाशà¥à¤¯) । उनका जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लेखन www.marcellomusto.org पर उपलबà¥à¤§ है ।
(अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•)गोपालजी पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, हिंदी के वरिषà¥à¤ आलोचक हैं! छायावाद और नवरतà¥à¤¨ पर उनकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें पà¥à¤°à¤•ाशित हैं! विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पातà¥à¤° पतà¥à¤°à¤¿à¤•ाओं में साहितà¥à¤¯-समाज से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ गंà¤à¥€à¤° लेखन के लिठजाने जाते हैं! फिलहाल दिलà¥à¤²à¥€ के आंबेडकर विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨!
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