Ram-Katha ki Sarbhaumikta
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ISBN | 9789350025222 |
Description
पौराणिक-इतिहास में तीन राम अति पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं- (१) जदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषि के पà¥à¤¤à¥à¤° परशà¥à¤°à¤¾à¤® (२) राजा दशरथ के पà¥à¤¤à¥à¤° राम (३) कृषà¥à¤£à¤¾ के बड़े à¤à¤¾à¤ˆ बलराम! अतः यह कहा गया है की- रामो रामकà¥à¤· रामकà¥à¤·!
राजा दशरथ के पà¥à¤¤à¥à¤° की कथा को लिखने का आधार वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ऋषि की रामायण के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤¯à¤¾ हो सकता है?
वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ à¤à¤• उदà¤à¤Ÿ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥, अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ तथा गंà¤à¥€à¤° दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• हैं! वे राम-विगà¥à¤°à¤¹ को अपनी लेखनी रूपी तूलिका से चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर, कावà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में राम का मनोगत चितà¥à¤° इस पदावली में उतारते हैं- "विगà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤¨ धरà¥à¤® शà¥à¤°à¥€ राम" – जो मानवीय चरितà¥à¤° की पवितà¥à¤°à¤¤à¤® मूरà¥à¤¤à¤¿ थे और जिन सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤—वत सेवा के अवतार शà¥à¤°à¥€ आंजनये को गूॠà¤à¤¾à¤·à¤¾ में हमारे उचà¥à¤šà¤¤à¤® दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सार बताने की कृपा की! राम के धरà¥à¤®-विगà¥à¤°à¤¹ का यह à¤à¤• रूप है, उनकी धरà¥à¤®-मूरà¥à¤¤à¤¿ का इक रूप मानवीय à¤à¥€ है! राम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं कि अपनी तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारन केवल à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं! रामायण के राम नायक हैं! उस विशाल नाटक के कई à¤à¤¾à¤—ों में उनको अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ करना पड़ता है! बचपन से लेकर इस संसार से विदा होने तक उनका धरà¥à¤® मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª हो सामने आता है!
à¤à¤¹à¤¿ à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ कारन है कि आज तक वे जान-मानस के à¤à¤• आदरà¥à¤¶ हैं! जनता आज à¤à¥€ बड़े चाव से अपने संतति का नामकरण राम व उनके पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आधार पर करती है! न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ में परनà¥à¤¤à¥ विदेशों में à¤à¥€ राम की महिमा अनेक रूपों में आज à¤à¥€ विधमान है! अनेक देशी व विदेशी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठमें राम-कथा का वरà¥à¤£à¤¨ देखने को मिलता है! चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾, कावà¥à¤¯, नाटकों व साहितà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में राम-कथा की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ को देखा जा सकता है! जान-गीतों में à¤à¥€ आज तक राम-कथा के सà¥à¤µà¤° सà¥à¤¨à¥‡ जा सकते हैं! राम-कथा के नाटकीय ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ के कारन बालक से वृदà¥à¤§ तक, अनपॠसे महापंडित तक, आसà¥à¤¤à¤¿à¤• से नासà¥à¤¤à¤¿à¤• तक, सà¤à¥€ को रामचरितà¥à¤° अनादिकाल से परम पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‡ होता आ रहा है और अनंत काल तक परम पà¥à¤°à¤¿à¤¯ होता रहेगा! à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण ने पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया है और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ तो रामायण का चिर ऋणी है! राम-कथा का आनंद शाशà¥à¤µà¤¤ और सनातन है और उस आननà¥à¤¦à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ का रहसà¥à¤¯ उसकी तारतमà¥à¤¯à¤¤à¤¾ में रही है!
रामायण की कथा वासà¥à¤¤à¥-
नाटकीय कथा में दो à¤à¤¾à¤—ों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है- (१) आधिकारिक कथा वासà¥à¤¤à¥ और (२) पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता कतह वासà¥à¤¤à¥!
'आधिकारिक कथा वासà¥à¤¤à¥' मà¥à¤–à¥à¤¯ होती है कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ वह नायक के जीवन पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखती है, 'पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक कथा वासà¥à¤¤à¥' गौण होती है कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ वह सामानà¥à¤¯ जन से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखती है! महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने राम की जीवन कथा आधिकारिक वासà¥à¤¤à¥ के रूप में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ की है तथा उसकी अधिक रोचकता बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठउसमें बलि-सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ की कथा, शà¥à¤°à¤®à¤°à¤¾à¤£-शबरी की कथा, शà¥à¤°à¤µà¤£ कà¥à¤®à¤¾à¤° की कथा, रावण-कà¥à¤®à¥à¤à¤•à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¿ राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚, जनक-परशà¥à¤°à¤¾à¤®, हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, अगसà¥à¤¤à¥à¤¯, वसिषà¥à¤ , जटायà¥, आदि अनेकों के कथावà¥à¤°à¤¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾-पà¥à¤°à¤•à¤°à¥€ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प में आधिकारिक राम-कथा की मनोहरता शतà¥à¤—ृनित करते हैं!
à¤à¤¸à¥‡ ही अनà¥à¤¯ कथाकारों ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª और रूचि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कई नई घटनाà¤à¤‚ व पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª मूल कथा में जोड़े हैं जो मूल कथा को कà¥à¤› के लिठरोचक और कà¥à¤› के लिठधूमिल व à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤• बनाते हैं!
कà¥à¤› पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ व à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ रामायण के पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं मानते अतः रामायण को सचà¥à¤šà¤¾ इतिहास न मानकर अनà¥à¤¯ पौराणिक गाथाओं के सदृशà¥à¤¯ à¤à¤• उचà¥à¤š निति-पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤• गाथा मानते हैं! लेकिन उनके मत में पूरà¥à¤£ सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ नहीं है, रामायण और उसके पातà¥à¤° à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• हैं! उपनिषद की "इतिह+आस" वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अथवा 'इति-ह-à¥à¤‚चà¥à¤µà¥ƒà¤‚दा' (पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¾à¤‚) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• वृंद परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤¨à¤¤à¥‡-कहते चले आठहैं!
आदरà¥à¤¶ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¥€ तो पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मिलते रहे हैं लेकिन वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के समय में राजघराने में à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤• कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब नहीं मिलता, अतः वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने संसारी जनों के हिताय- सरà¥à¤µà¤œà¤¨ हिताय, सरà¥à¤µà¤œà¤¨ पà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¾à¤¯ रामायण रचा जिसमें आदरà¥à¤¶ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, आदरà¥à¤¶ पति, आदरà¥à¤¶ बंधू, आदरà¥à¤¶ माता, आदरà¥à¤¶ पिता, आदरà¥à¤¶ राजा, आदरà¥à¤¶ राजà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¾à¤² की बन संसार के समà¥à¤®à¥à¤– राखी और à¤à¤¸à¥€ विचितà¥à¤°à¤¤à¤¾ राखी कि रामायण को बार-बार पà¥à¤¨à¤¾ और सà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ लगता है!
इन सà¤à¥€ विषयों को à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के आधारों पर इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है!
राम अवतार शरà¥à¤®à¤¾ राजनीती विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ है! आपकी इन विषयों के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पहलà¥à¤“ं à¤à¤µà¤‚ समसामजिक विषयों पर अनेक रचनाà¤à¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ है! आप दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के महाराजा अगà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤¨ कॉलेज के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ रहे है! आजकल आप गहन शोध कारà¥à¤¯ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हैं! आपकी अनà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हैं – राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦, तà¥à¤¯à¤¾à¤— à¤à¤µà¤‚ बलिदान; à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯: उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ विकास; जल: कल, आज और कल तथा दिलà¥à¤²à¥€: बियोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ ऑफ़ ठसिटी!
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