Aarthik Sanrachna Aur Dharm
₹795.00
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ISBN | 9789350024607 |
Description
सामानà¥à¤¯ जन-जीवन के सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और राजनीतिक पहलà¥à¤“ं के सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विकासकà¥à¤°à¤® का निरूपण बृहतà¥à¤¤à¤° à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾, और शायद अपरिहारà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² है यह कृति |
लगà¤à¤— चार शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (सा.यà¥.पू. लगà¤à¤— 700-300) के काल के दौरान जन-जीवन के सà¤à¥€ पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का निरूपण करने वाली यह रचना कà¥à¤› नई शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की ओर इशारा कराती है | इस काल से समà¥à¤¬à¤‚धित दीरà¥à¤˜ शताबà¥à¤¦à¥€ और कà¥à¤› अनà¥à¤¯ बड़े मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ चरà¥à¤šà¤¾ की गई है | इसके अतिरिकà¥à¤¤ इस संपूरà¥à¤£ काल को वैदिकोतà¥à¤¤à¤° काल कहा गया है, जिसे उतà¥à¤¤à¤° वैदिक काल (सामानà¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ सरà¥à¤•à¤¾ 1000 – सरà¥à¤•à¤¾ 500 बी.सी.) से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठ| मौजूदा परिपाटी से हटकर इसमें संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, पालि और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ में उपलबà¥à¤§ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥€à¤¯, बौदà¥à¤§ और जैन साहितà¥à¤¯ को ‘पवितà¥à¤°’ à¤à¤µà¤‚ ‘धरà¥à¤®à¤‚ गà¥à¤°à¤‚थों’ ( ‘Sacred’ and ‘Scriptures’) वाली शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में रखने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का विरोध किया गया है | अकà¥à¤¸à¤° पालि और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ नामों और शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤-करण कर दिया जाता है| यहां इस पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¥€ नकारते हà¥à¤ इन सà¤à¥€ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• कृतियों की मूल à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ का ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है | सामानà¥à¤¯ रूप से पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाले B.C और A.D के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अब अधिक पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ होते हà¥à¤ यहाठकà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ सा.यà¥.पू.(BCE) और वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨/सामानà¥à¤¯ यà¥à¤—ीन (CE) का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया गया है| यह नई शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ काल गणना में ईसा मसीह और इसाईयत के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को नगणà¥à¤¯ बनाती है |
इस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ काल के दौरान पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के इतिहास में बà¥à¤¦à¥à¤§, महावीर व उनके जैसे अनेकानेक धारà¥à¤®à¤¿à¤• चिंतकों के कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी विचारों के कारण इस काल को à¤à¤¾à¤°à¤¤ का विवेक यà¥à¤— कहा जा सकता है | किनà¥à¤¤à¥ यह धारà¥à¤®à¤¿à¤• और वैचारिक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति कोई à¤à¤•à¤¾à¤•à¥€ विकासकà¥à¤°à¤® न था | सामानà¥à¤¯ जन-जीवन के सà¤à¥€ पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ में दूरगामी परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो रहे थे| आरà¥à¤¥à¤¿à¤• परिदृशà¥à¤¯ विशेष रूप से नई दिशाओं में अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो रहा था | धातà¥à¤µà¤¿à¤• मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, लौह तकनीक का विशाल à¤à¥Œà¤—ोलिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°, और बà¥à¤¤à¥‡ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° तंतà¥à¤° ने नागरीकरण को तो बल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया ही, परनà¥à¤¤à¥ साथ-साथ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ वातावरण और कृषकों की उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं को à¤à¥€ असीम रूप से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया | इस बदलते à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• माहौल ने समाज की वरà¥à¤£ और जातिगत विषमताओं और परिवरà¥à¤¤à¤¨à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ को नई गति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की | यह कृति à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास की इन चार महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन है, जिसमें पाठकों को इस काल से समà¥à¤¬à¤‚धित पाठों/सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप में अवगत कराने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ किया गया है |
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विवेक यà¥à¤— की इस संरचना में सात मानचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अलावा छबà¥à¤¬à¥€à¤¸ फलकों और रेखाचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ शामिल किया गया है |
पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° कृषà¥à¤£ मोहन शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤²à¥€ ने सेंट सà¥à¤Ÿà¥€à¤«à¤‚ज़ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ और दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• और सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° सà¥à¤¤à¤° पर लगà¤à¤— पैंतालीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ कारà¥à¤¯ किया | इतिहास और पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ जरà¥à¤¨à¤²à¥à¤¸ और शोध पà¥à¤°à¤¬à¤‚धों में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ अनेक शोध पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ उनके कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ हैं : हिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ ऑफ़ पंचाल (दो खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में), दि à¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¥à¤šà¤° ऑफ़ सेंटà¥à¤°à¤² इंडिया à¤à¤‚ड नॉरà¥à¤¦à¤¨ डेकà¥à¤•à¤¨ : अ सà¥à¤Ÿà¤¡à¥€ इन वाकाटक इनà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤¶à¤‚ज़, दि à¤à¤œ ऑफ़ आयरन à¤à¤‚ड दि रेलिजस रेवोलà¥à¤¯à¥‚शन (सरà¥à¤•à¤¾ 700 – सरà¥à¤•à¤¾ 350 बी.सी.), धरà¥à¤®, समाज और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ | उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संपादित कà¥à¤› महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शोध गà¥à¤°à¤‚थों में à¤à¤¸à¥à¤¸à¥‡à¥› ऑन इंडियन आरà¥à¤Ÿ, रेलिजन à¤à¤‚ड सोसाइटी, आरà¥à¤•à¥ˆà¤¯à¥‹à¤²à¥Œà¤œà¥€ सिंस इनà¥à¤¡à¤¿à¤ªà¥‡à¤‚डेंस, रीज़न à¤à¤‚ड आरà¥à¤•à¥ˆà¤¯à¥‹à¤²à¥Œà¤œà¥€, ठकौमà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤¹à¥‡à¤¨à¥à¤¸à¤¿à¤µ हिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ ऑफ़ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ ( खंड 4; पà¥à¤°à¥‹. रामशरण शरà¥à¤®à¤¾ के साथ संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से)| पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨à¤¾à¤§à¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं : पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का इतिहास और इतिहास, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ और विचारधारा | पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤²à¥€ इतिहास, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ और मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° से समà¥à¤¬à¤‚धित अनेक अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं से जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ हैं | आनà¥à¤§à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, पंजाब, पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल और मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की इतिहास परिषदों के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· रहे हैं | वे इंडियन हिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कोषाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· और जेनेरल सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ तथा इंडियन सोशल साइंस अकादमी के उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ रह चà¥à¤•à¥‡ हैं | à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास लेखन के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ और à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ फासीवादी ताकतों का विरोध करने में सदा ततà¥à¤ªà¤° रहते हैं |
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