BISWI SADI MEI VISHV ITIHAS KE PRAMUKH MUDDE: Badalte Aayam Evam Dishayen
₹395.00
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ISBN | 9789350027103 |
Description
यूठतो इतिहास बीते समय का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ होता है लेकिन इतिहास का à¤à¤• मक़सद समकालीन वक़à¥à¤¤ को सही रौशनी में पेश करना है। आज हम जिस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में रहते हैं उसे बेहतर कल में बदलने के लिठसमकालीन और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• इतिहास की आलोचनातà¥à¤®à¤• विवेचना ज़रूरी है। शायद इसी मक़सद से दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में बीसवीं सदी के इतिहास के विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ को शामिल किया गया है। बीसवीं सदी के इतिहास के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ की जानकारी के बिना कोई à¤à¥€ छातà¥à¤° समकालीन समाज के बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ सवालों का विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ जवाब नहीं दे सकता। १८वीं और १९वीं सदी में हà¥à¤ˆ फ़à¥à¤°à¤¾à¤‚सीसी और औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤°à¤¾à¤‚तियोंने आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¦à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ और आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤•à¥€ नीव रखी और बीसवीं सदी के इतिहास और मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया। देखा जाठतो २१वीं शताबà¥à¤¦à¥€ कई मायने में १९वीं और २०वीं शताबà¥à¤¦à¥€ के मानव इतिहास में जनà¥à¤®à¥‡ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ कहानी है। पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦,सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦, आधà¥à¤¨à¤¿à¤• उपनिवेशवाद, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦, फसीवाद,नाज़ीवाद, आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§, मीडिया और पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वैशà¥à¤µà¥€à¤•à¤°à¤£ इस कहानी के मà¥à¤–à¥à¤¯ पतà¥à¤° हैं।इस कहानी कà¥à¤¯à¤¾ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ हो सकते हैं? सरà¥à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤— के संघरà¥à¤·, सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ और उपनिवेशà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•à¤¾ ना रà¥à¤•à¤¨à¥‡ वाला इतिहास, फसीवादऔर नाज़ीवाद के दौर, पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦ का गहरा संकट, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और मानव अधिकार के पेचीदा मामले, दो विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ की दà¥à¤–द दासà¥à¤¤à¤¾à¤, १९४५के बाद की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ और उसमें फैला मीडिया व वैशà¥à¤µà¤¿à¤•à¤°à¤£ का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ जिस से हम बच नहीं सकते। इसके अलावा और बहà¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ और उनके उतà¥à¤¤à¤° पाठकों को इस किताब में मिलेंगे। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का हर अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ठोस शोध पर आधारित है। इनके कà¥à¤› लेखकों ने कई वरà¥à¤· दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की अनेक शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤•à¤¸à¤‚सà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• सà¥à¤¤à¤° के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को समाज शासà¥à¤¤à¥à¤° और इतिहास पढ़ायाहै और ये अनà¥à¤à¤µ उनके लेखोंमें à¤à¤²à¤•à¤¤à¤¾ है। बी ठऔर à¤à¤® ठके छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अलावा इतिहास में रà¥à¤šà¤¿ रखने वाले साधारण पाठक को à¤à¥€ इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में दिलचसà¥à¤ª जानकारी और विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा। यू पी à¤à¤¸ सी और अनà¥à¤¯ परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के लिठमशक़à¥à¤•à¤¼à¤¤ करने वाले नौजवानों के लिठà¤à¥€ ये किताब अतà¥à¤¯à¤‚त उपयोगी सिदà¥à¤§ होगी। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कई विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ और विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में जो छातà¥à¤° हिंदी पढ़ सकते हैं उनके लिठतो ये किताब ख़ास काम की है।
संपादक तथा लेखकों का परिचय
अनिरà¥à¤¦à¥à¤§ देशपांडे, à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤Ÿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°, इतिहास विà¤à¤¾à¤—, दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
आशा गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, पूरà¥à¤µ निदेशक, हिंदी माधà¥à¤¯à¤® कारà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¯ निदेशालय, दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ चावला, à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤Ÿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°, शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ तेगबहादà¥à¤° खालसा कॉलेज, दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
मनोज शरà¥à¤®à¤¾, असिसà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ट पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°, किरोड़ी मल कॉलेज, दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
मृदà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾, à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤Ÿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°, पी.जी.डी.à¤.वी. कॉलेज (सांधà¥à¤¯), दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
मà¥à¤«à¥€à¤¦ म. इक़बाल मà¥à¤œà¤¾à¤µà¤°, असिसà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ट पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° (इतिहास), सेंटर फॉर डिसà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚स à¤à¤œà¥à¤•à¥‡à¤¶à¤¨, शिवजी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, कोलà¥à¤¹à¤¾à¤ªà¥à¤°
मो. मोतीउर रेहमान खान, असिसà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ट पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°,पी.जी.डी.à¤.वी. कॉलेज (सांधà¥à¤¯), दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ विप, असà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤‚ट पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°,पी.जी.डी.à¤.वी. कॉलेज (सांधà¥à¤¯), दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯
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