Vikas ka Aatank
₹100.00
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ISBN | 9788191081770 |
Description
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के बारे में आम समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ विकसित राषà¥à¤Ÿà¥à¤° बन चूका हैं या बनने ही वाला हैं. अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दो अंकों कि रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से सरपट विकास कर रही हैं और समृदà¥à¤§à¤¿ और खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ बरसा रही हैं. लेकिन यह किताब सवाल उठाती है कि यह कैसा विकास है जो देश की तीन चौथाई आबादी की बस इतना दे रहा है कि वह किसी तरह जिनà¥à¤¦à¤¾ रह सके? यह कैसा विकास है कि खाने पीने और सेहत के लिहाज से देश के लोगों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ यहाठके चूहे हैं.
यह किताब बताती हैं कि विकास के नाम पर राजसतà¥à¤¤à¤¾ किस तरह गरीबों को आतंकित कर रही हैं. इस आतंक का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° मकसद हैं उधोगीकरण और सरपट आरà¥à¤¥à¤¿à¤• बà¥à¤¤ कि आड़ में शासक अà¤à¤¿à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ कि छोटी सी जमात कि दौलत बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ जाना.
अमित बहादà¥à¤°à¥€ जाने मने अरà¥à¤¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ हैं, उनकी किताबें à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ और यूरोप कि कई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठमें अनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ हैं. वे दिलà¥à¤²à¥€ के जवाहरलाल नेहरू विशà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° à¤à¤®à¥‡à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¸ और इटली के पोविया विशà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° पर चà¥à¤¨à¥‡ गठ‘पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° ऑफ कà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤° फेम’ हैं.
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