
Kyu Sahi They Marx
₹495.00
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ISBN | 9789350026526 |
Description
इस किताब में मारà¥à¤•à¥à¤¸ के विचारों की आमतौर पर की जाने वाली आलोचनाओं का खंडन पेश किआ गया है. किताब बताती है की न सिरà¥à¤« ये आलोचनाà¤à¤‚ गलत हैं बलà¥à¤•ि मारà¥à¤•à¥à¤¸ के विचारों की गलत या आधी अधूरी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से निकली हैं. किताब यह सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करती है की मारà¥à¤•à¥à¤¸ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ में गहरी आसà¥à¤¥à¤¾ थी और समाजवाद का मतलब उनके लिठलोकतंतà¥à¤° का और गहरा होना था न की उसका निषेध, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समाजवाद को आज़ादी, नागरिक अधिकार और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• समृदà¥à¤§à¤¿ की महान विरासतोंका उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी माना.
इंसान की अचà¥à¤›à¥€ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी का उनका मॉडल उसकी अपनी कलातà¥à¤®à¤• अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के विचार पर आधारित था. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीवन के आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पहलॠपर इतना जोर दिया तो इसीलिठकि वे चाहते थे कि मानवता का इसका अखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° काम हो.पà¥à¤°à¤•ृति और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पर मारà¥à¤•à¥à¤¸ के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° विचार उनके ज़माने से बहà¥à¤¤ आगे के थे.औरतों कि आज़ादी, विशà¥à¤µ शांति, फांसीवाद के खिलाफ संघरà¥à¤· और उपनिवेशों कि आज़ादी कि लड़ाई का उतना पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° हिमायती कोई और नहीं रहा है जितना मारà¥à¤•à¥à¤¸ कि लेखन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ राजनीतीक आंदोलन.
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